MVDA के अधिकारियों और विवादित बिल्डर श्री ग्रुप की साठ-गाँठ से हुआ फर्जीवाड़ा।

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योगी सरकार और प्रशासन से पोषित है ये भूमाफिया ऐसे लग रहे हैं आरोप।

“सत्ता की हनक में कोर्ट के आदेश को भी फाड़ फेंका बाहुबली बिल्डर ने”

12 मार्च,दिन रविवार को दोपहर में मथुरा के बिल्डर श्री ग्रुप ने गोवर्धन रोड स्थित गेट बंद कॉलोनी श्री राधा सिटी की पूर्वी दीवार को जबरदस्ती गुंडागर्दी,बाहुबल,राजनैतिक रसूख के बल पर नेस्तनाबूत कर दिया तथा कोर्ट के उस आदेश को भी फाड़ कर फेंक दिया जिसमें कोर्ट ने कॉलोनी वालों को राहत देते हुए स्टेटस-को (यथा-स्थिति) बनाये रखने की निषेधाज्ञा पारित की थी।

माननीय न्यायालय सिविल जज (जूनियर डिवीज़न) मथुरा के लंबित वाद संख्या 1042/2022 में कॉलोनी निवासियों (परिवादी) ने माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत आवेदन में आरोप लगाया था कि प्रतिवादी बिल्डर परियोजनाओं का विस्तार करने के लिए राधा सिटी कॉलोनी की पूर्वी दीवार को गिरा रहे हैं, जिसे खरीद के समय समझौते के अनुसार सीमाबद्ध और संलग्न आवासीय सोसायटी कहा गया था।

वादीगण का आरोप था कि कॉलोनी की पूर्वी दीवार की सीमा का कोई भी परिवर्तन वादीगण की सुरक्षा को प्रभावित करेगा और इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।

उपरोक्त के अलावा, वादीगण ने प्रस्तुत किया कि कथित विध्वंस सीधे तौर पर बिक्री-विलेख समझौते की शर्तों का उल्लंघन है। अभिलेख पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन करने के उपरान्त माननीय न्यायालय ने आदेश पारित किया कि – यह अदालत दोनों पक्षों को सुनवाई की अगली तारीख तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देती है” उपरोक्त वाद में माननीय अदालत ने अगली तारीख 15 मार्च 2023 को नियत कर रखी थी।

“Thus This Court Direct both the Parties to Maintain Status-Quo till the next date of Hearing”

– (पेज-3, पैरा- 2)

उपरोक्त कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी बिल्डर ने अवैध तरीके से बिल्डोजर चलाकर कॉलोनी की पूर्वी दीवाल को जबरदस्ती गुंडागर्दी के दम पर यह कहते हुए कि कोई बीच में आया तो उस पर JCB चढ़ा दी जायेगी तोड़ दिया इससे कॉलोनी के 2000 लोगों की सुरक्षा को सीधा सीधा खतरा पैदा हो गया,कॉलोनी में भय और आतंक पसर गया,न्यूज़ 24 उत्तर प्रदेश डॉट कॉम की टीम की  कॉलोनी के ही निवासी और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री एन.के.गोस्वामी जी से बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रेषित हैं

विक्रय पत्रों में स्पष्ट लिखा हुआ है करारनामा –

बिल्डर द्वारा श्री राधा सिटी कॉलोनी निवासियों को किये गए विक्रय-पत्रों में मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण,मथुरा के द्वारा  दिनांक 11-03-2011 को स्वीकृत किये गये विन्यास मानचित्र संख्या -160/M/09-10 का हवाला दिया गया है जिसमें उपरोक्त कॉलोनी गेट बंद है। तथा 11 जुलाई 2012 को जारी किये गये  विक्रय पत्र के पेज क्रमांक (7) पर ये स्पष्ठ्तः वर्णित है कि प्लाट धारक द्वारा प्लाट का उपयोग रिहायशी मकान के अलावा बदलकर कमर्शियल दुकान ,पार्क रास्ता आदि का निर्माण व उपयोग करना तथा कॉलोनी की चार दीवारी आदि तोडना चार दीवारी के उद्देश्य पूर्ति में बाधा उत्पन्न करना व क्षति पहुँचाना वर्जित व अवैध होगा  परन्तु 21-10-2022 को बिल्डर द्वारा माननीय न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीज़न मथुरा में लंबित वाद संख्या 1042/2022 में  न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र पर उपरोक्त मानचित्र के दिनांक 29-01-2013 में संशोधित होने की बात कही जिसमें वह 16.56 एकड़ की अतरिक्त वृहद् भूमि को भी श्री राधा सिटी कॉलोनी का हिस्सा बता रहा है ।

कैसे किया हज़ारों करोड़ का जमीनी घोटाला ?

मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण (MVDA),मथुरा द्वारा दिनांक 11-03-2011 को स्वीकृत किये गये विन्यास मानचित्र संख्या -160/M/09-10 में वर्णित श्री राधा सिटी कॉलोनी जो कि कुल 34.06 एकड़ (137850.36 वर्ग मीटर) में गेट बंद कॉलोनी के रूप में एस.जे.पी. रीयल एस्टेट डवलपर्स लिमिटेड जिसका पंजीकृत कार्यालय 111,श्री यमुनाधाम गोवर्धन चौराहा,मथुरा है द्वारा डेवलप की गयी तथा बेची गयी गेट बंद आवासीय कॉलोनी है तथा जो कि मौहल्ला / ग्राम  मौजा नगला सदोला तहसील व जिला मथुरा अन्दरुन स्थित है।

बिल्डर ने अपनी पूरी गेट बंद कॉलोनी को उक्त विन्यास मानचित्र संख्या-160/M/09-10 पर बेचा था जिसका जिक्र उसने हर विक्रय पत्र में किया हुआ है।   

बाद में उपरोक्त बिल्डर ने श्री राधा सिटी कॉलोनी की दीवाल से सटा हुआ खेत और खरीद लिया और उसमें प्लाटिंग करके उसे राधासिटी का हिस्सा बताकर एक अविकसित कॉलोनी को ऊँचे दामों में ग्राहकों को बेच दिया इस तरह से उसने न केवल राधासिटी कॉलोनी वालों के साथ धोखाधड़ी की बल्कि उससे सटी कॉलोनी जिसे उसने राधा सिटी एक्सटेंशन का नाम दिया के ग्राहकों को भी धोखा दिया। वह चाहता है कि दोनों कॉलोनी वाले आपस में लड़ते रहें इस हेतु उसने कुछ गुंडा तत्वों को,नेताओं को,भू-माफिया और गुंडे किस्म के वकीलों को बहुत ही कम कीमत में उक्त अविकसित (अन-एप्रूव्ड) कॉलोनी में प्लॉट्स आवंटित किये हैं ।

उक्त आपराधिक षड्यंत्र को क़ानूनी जामा पहनाने के लिए उसने कॉलोनी के पूर्व में स्वीकृत मानचित्र MVDA के अधिकारियों से साठ-गाँठ करके बिना कॉलोनी वासियों के संज्ञान में लाये दिनांक  29-01-2013  में संशोधित तलपट मानचित्र 160/M/09-10 (श्री राधा सिटी) संशोधित किया जिसके परिणाम स्वरुप उक्त कॉलोनी का कुल क्षेत्रफल 34.06 एकड़ (137850.36 वर्ग मीटर) से बढ़कर 51.16 एकड़ (207040.98 वर्ग मीटर) हो गया तथा 294 अतरिक्त प्लॉट्स की बुनियादी सुविधाओं का अतरिक्त भार भी उपरोक्त कॉलोनी पर डाल दिया गया यहाँ यह भी कहना उचित होगा कि उपरोक्त संशोधन का संज्ञान न तो बिल्डर के द्वारा और न ही MVDA द्वारा कॉलोनी वासियों को दिया गया।

बिल्डर का फर्जीवाडा खुल न जाये इसलिए उसने धोखाधड़ी करने की नीयत से फर्जी मानचित्र संख्या -160/M/09-10 का हवाला वर्ष 2013 और उसके बाद वाले विक्रय पत्रों में भी नहीं किया।

उपरोक्त कृत्य से श्री राधा सिटी कॉलोनी वासियों की सुरक्षा खतरे में पड गयी क्योंकि जिस सेक्टर को  29-01-2013 के संशोधित मानचित्र के माध्यम से श्री राधा सिटी का भाग बताया जा रहा था से होकर बीपीसीएल की गैस लाइन गुजरती है इस कारण वह हिस्सा उत्तर और दक्षिण दोनों तरफ से हमेशा खुला रहेगा और उसे कभी गेट बंद कॉलोनी में समाहित नहीं किया जा सकता जो कि संशोधित मानचित्र में क्रमशः GR -11 (1517 वर्ग मीटर) और GR -2  (909.22 वर्ग मीटर) से नामित है ।

MVDA के सचिव को उपरोक्त कांड का जब संज्ञान लेने और उस पर विधिक कार्यवाही करने के लिए कहा गया तो उसने भी कुछ कार्यवाही नहीं की फिर एक RTI में यह पूछने पर कि उपरोक्त मानचित्र में संशोधन करने से पूर्व क्या बीपीसीएल गैस वालों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) ली गयी ? तथा क्या उपरोक्त वर्णित भाग जिसके नीचे गैस लाइन जा रही है के ऊपर कंस्ट्रक्शन/निर्माण कर उत्तर दक्षिण की तरफ के मार्गों को अवरुद्ध याकि बंद किया जा सकता है ? या वो हमेशा खुले ही रहेंगे और कॉलोनी कभी सुरक्षित और गेट बंद नहीं होगी? आदि प्रश्नों का संतोषजनक जबाब भी MVDA के द्वारा नहीं दिया गया।  

उक्त RTI में कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न भी पूछे गए थे जो निम्नवत हैं ।  

  • क्या श्री राधा सिटी  कॉलोनी निवासियों को बिना बताये याकि उनके बिना संज्ञान में लाये ऐसा कोई संशोधित मानचित्र वर्तमान में प्रभाव में है ? और क्या ऐसा नियमानुसार/विधि सम्मत रूप से किया जा सकता है कि  किसी गेट बंद कॉलोनी की दीवार तोड़कर  उसे दूसरी कॉलोनी में मिलाया/Merge कर उसका विन्यास मानचित्र MVDA  से संशोधित कर प्रभाव में लाया गया या लाया जा सकता है ?
  • MVDA द्वारा 29-01-2013 को संशोधित तलपट मानचित्र 160/M/09-10 (श्री राधा सिटी) के बिंदु क्रमांक-4 में भी स्पष्टतः वर्णित है कि पूर्व स्वीकृत तलपट मानचित्र की शर्तें यथावत रहेंगी फिर किस आधार पर पूर्व शर्तों का विच्छेद कर नये मानचित्र में दीवालों को तोड़ 16.56 एकड़ अतरिक्त भूमि वाली कॉलोनी को श्री राधा सिटी में कैसे समाहित कर दिया गया ?
  • संशोधित मानचित्र में वर्णित  GR -11 (1517 वर्ग मीटर) और GR -2  (909.22 वर्ग मीटर) को ग्रीन क्षेत्र दर्शाया गया है जिसमें पार्क आदि डवलप किया जा रहा है के ऊपर से विधुत की हाई टेंशन लाइन गुजरती है,माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार हाई टेंशन विधुत लाइन के नीचे पार्क,स्विमिंग पुल आदि बनाना वर्जित है क्योंकि इससे निवासियों को जान-माल का खतरा बना रहता है। क्या ऐसा विधिक रूप से संभव है ।

जबकि “यूपी अपार्टमेंट अधिनियम 2010 के तहत स्वीकृत योजना में परिवर्तन से पूर्व फ्लैट मालिकों की सहमति जरूरी है। यूपी अपार्टमेंट अधिनियम 2010 की धारा 4(4) और धारा 5(3) के तहत  स्वीकृत योजना में परिवर्तन से पहले सभी आवंटियों की सहमति जरुरी है जिनका साझा क्षेत्र में अविभाजित हित बनता है”

यूपी 1975 अधिनियम के तहत भी किसी भी स्वीकृत योजना में परिवर्तन या संशोधन से पूर्व फ्लैट मालिकों की सहमति लेनी अनिवार्य है तथा अधिनियम की धारा 5(2) और 5(3) के तहत फ्लैटों के सभी मालिकों की सहमति के बिना उनके अविभाजित हित को बदला नहीं जा सकता।

उक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि बिना विकास प्राधिकरण की मिली-भगत और अवैधानिक साठ-गाँठ के उपरोक्त फर्जी-वाडे को अंजाम नहीं दिया जा सकता था ऐसा नहीं है कि विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने घूस लेकर ऐसा पहली बार किया हो ,माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी अपने सर्वमान्य निर्णयों में  बिल्डर और विकास प्राधिकरणों की मिलीभगत और अवैध निर्माण को विभिन्न केसों के माध्यम से उद्धत किया है ।

  1. In K. Ramadas Shenoy v. Chief Officer, Town Municipal Council (1974) 2 SCC 506
  2. Dr G.N. Khajuria v. Delhi Development Authority (1995) 5 SCC 762
  3. Friends Colony Development Committee v. State of Orissa (2004) 8 SCC 733
  4. Priyanka Estates International (P) Ltd. v. State of Assam (2010) 2 SCC 27
  5. Esha Ekta Apartments Coop. Housing Society Ltd. v. Municipal Corpn. of Mumbai (2013) 5 SCC 357
  6. Kerala State Coastal Zone Management Authority v. State of Kerala (2019) 7 SCC 248
  7. Kerala State Coastal Zone Management Authority v. Maradu Municipality,Maradu 2018 SCC OnLine SC 3352
  8. Bikram Chatterji v. Union of India  (2019) 19 SCC 161
अभी हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय इलाहाबाद द्वारा निर्धारित चर्चित केस में माननीय उच्चतम न्यायालय ने माननीय इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को सही मानते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में उच्च न्यायालय द्वारा सही ढंग से निष्कर्ष निकाला गया है कि विकासकर्ता और योजना प्राधिकरण के बीच मिलीभगत थी।

Supertech Limited v. Emerald Court Owner Resident Welfare Association & Ors

(Civil Appeal No. 5041 of 2021)”

यक्ष प्रश्न ये है कि दिनांक 29-01-2013 में संशोधित मानचित्र की संशोधित योजनाओं में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड गैस पाइप लाइन के गुजरने की वजह से कॉलोनी का उत्तर-दक्षिण हिस्सा खुला रहना तथा पार्कों के ऊपर से गुजर रही हाई टेंशन विघुत लाइन जैसी  नीतियों के  उल्लंघन के बावजूद भी MVDA द्वारा मानचित्र को कैसे और किस दबाब में संशोधित कर दिया गया?

बिल्डर की और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की ज्यादती से क्षुब्ध होकर कॉलोनी निवासियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था जिस पर कोर्ट ने यथास्थिति बनाये रखने का आदेश पारित किया था जिसमें पूर्वी दीवाल को क्षति न पहुंचाना शामिल था।  

पर बाहुबली माफिया बिल्डर के लिए क्या कोर्ट क्या कानून भू-माफिया बिल्डर ने कोर्ट के स्टे के बावजूद दीवाल को ध्वस्त कर दिया तथा 1600 निवासियों की जान माल को खतरे पैदा कर दिया। यक्ष-प्रश्न ये है कि अपराधियों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाली योगी सरकार क्या इतने बड़े भू-माफिया को मिट्टी में मिला पायेगी?

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