भगवान श्री कृष्ण की भूमि है मथुरा, यहां सैकड़ों साल पुराने कई एतिहासिक इमारतें और मंदिर तथा मस्जिदें भी हैं, यहां कई जगहों का संबंध सल्तनत काल(1206-1526 CE) से भी है। हाल ही में एक ऐसी ही मीनार मथुरा में मिली है जो करीब 400 साल पुरानी है। मोतीमंजिल एक्सटेंशन मथुरा में जिला प्रशासन को एक ऐसी ही पुरानी कोस मीनार मिली है.
क्या होती है कोस मीनार – कोस दूरी नापने का एक भारतीय माप (ईकाई) है। अभी भी बुजुर्ग लोग दूरी के लिये कोस का प्रयोग करते हुए मिल जाते हैं। प्राचीनकाल में यह 4,000 हाथ, अथवा किसी-किसी के मत से 8,000 हाथ की दूरी का नाम था। आजकल यह दो मील (लगभग 3.22 किलोमीटर) का माना जाता है।
कोस मीनार का प्रयोग शेर शाह सूरी के जमाने में सड़कों को नियमित अंतराल पर चिन्हित करने के लिए किया जाता था। ग्रैंड ट्रंक रोड के किनारे हर कोस पर मीनारें बनवाई गई थीं। अधिकतर इन्हें 1556 – 1707 CE के बीच बनाया गया था। कई मीनारें आज भी सुरक्षित हैं तथा इन्हें दिल्ली-अंबाला राजमार्ग पर देखा जा सकता है।
पुरातत्व विभाग के अनुसार – भारत के हरियाणा राज्य में कुल 49 कोस मीनारे है जिनमें फरीदाबाद में 17, सोनीपत में 7, पानीपत में 5, करनाल में 10, कुरुक्षेत्र और अम्बाला में 9 मीनार हैं। आजकल इन्हें सुरक्षित स्मारक घोषित किया गया है तथा पुरातत्व विभाग इनकी देखरेख करता है।
दिशा समझने के लिए होता था इनका प्रयोग – पुरातत्व के अधिकारियों ने बताया कि यह मीनार शेर शाह सूरी के समय (1540-1545 CE) की है, मीनारों को मुगल सैनिकों और व्यापारियों के द्वारा रास्ते की दिशा समझने के लिए प्रयोग किया जाता था। ऐसी कई मीनारें दिल्ली हरियाणा पंजाब आगरा बदायूं समेत देश के अन्य शहरों-राज्यों में भी स्थित हैं.
पुरातत्व विभाग(ASI) ने नहीं बल्कि स्थानीय निवासियों ने ही खोज डाली– अधिकारियों ने बताया कि – मथुरा में ऐसी करीब 11 मीनारें हैं जो की पहले से ही पुरातत्व विभाग की देख-रेख में हैं. लेकिन अब 12वीं मीनार पुरातत्व विभाग के कागजों में तो थी लेकिन उसकी भौतिक स्थिति का पता नहीं था जो अब मोतीमंजिल क्षेत्र में मिल गई है. इस मिनार को वहीं के स्थानीय निवासियों ने ढूंढ निकाला था ।
एसडीएम सदर अजय जैन ने बताया बताया कोस मीनार – यह ऐतिहासिक कोस मीनार ही प्रतीत हो रही है. जिसका निरीक्षण खुद मौके पर पहुंच कर एसडीएम द्वारा किया गया. साथ ही पुरातत्व विभाग ने भी इसकी जांच कर ली है. जल्द ही और भी गहन अध्यन कर जानकारी सार्वजनिक की जायेगी.
उत्तर प्रदेश में स्थित एक कोस मीनार।